रवि शास्त्री ने बताया कि क्या हुआ था उस दिन जब धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से अचानक लिया था सन्यास

रवि शास्त्री ने बताया कि क्या हुआ था उस दिन जब धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से अचानक लिया था सन्यास

खुलासा: आखिर क्या हुआ था उस दिन, जब धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से लिया था संन्यास, शास्त्री ने बताया सबकुछ

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बीते साल जैसे उन्होंने 15 अगस्त के दिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। उनके इस फैसले ने सबको हैरानी में डाल दिया था। ठीक इसी तरह माही ने साल 2014 में टेस्ट क्रिकेट से अचानक संन्यास लेने की घोषणा कर दी थी। उस समय भी धोनी के लिए गए इस फैसले ने सबको चौंका दिया था। बता दें कि उस समय भारतीय टीम ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर थी। जब धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का एलान किया था आखिर उस क्या हुआ था, इसका खुलासा टीम इंडिया के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने हाल ही में प्रकाशित अपनी किताब Stargazing: The players in my life में किया है।


मेलबर्न में सीरीज का तीसरा टेस्ट खेला जा रहा था। हमने आखिरी दिन मैच ड्रॉ करा लिया था और धोनी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाना था। कॉन्फ्रेंस में जाने से पहले उन्होंने मुझसे कहा कि रवि भाई, जब मैं वापस लौटूंगा, तो मुझे साथी खिलाड़ियों से बात करनी है। तब मैंने उन्हें कहा था कि आप टीम के कप्तान हैं, बिल्कुल बात कर सकते हैं।' बता दें कि एमएस उस समय अच्छी फॉर्म में थे और वह अपने सौ टेस्ट से सिर्फ 10 मैच ही दूर थे। धोनी ने जिस वक्त संन्यास लेने की घोषणा की थी उस वक्त शास्त्री टीम इंडिया के निदेशक पद पर थे।


~शास्त्री ने अपनी किताब में आगे लिखा कि धोनी के पास 100 टेस्ट खेलने का मौका था। मगर उनके लिए निजी रिकॉर्ड मायने नहीं रखते हैं। मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन एमएस की सोच में दृढ़ता थी। यह सही है कि उनकी उम्र बढ़ रही थी, लेकिन वह उतने उम्रदराज भी नहीं थे। फिर भी उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को छोड़ने का फैसला कर लिया। अब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे लगता है कि उनका निर्णय सही था।


~शास्त्री ने अपनी किताब में आगे लिखा कि धोनी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके लौटे और घोषणा कर दी कि यह मेरा आखिरी टेस्ट मैच था। धोनी इसी तरह के इंसान हैं। वो निडर और निस्वार्थ हैं। उन्होंने बीच सीरीज में इतना बड़ा फैसला लेकर इस बात को साबित कर दिया था। मैंने धोनी को मनाने की कोशिश कि वो अपने फैसले पर दोबारा विचार करें। वो तब भी टीम के तीन सबसे फिट खिलाड़ियों में से एक थे। उनके पास अपने टेस्ट करियर को और बेहतर करने का मौका था।

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